हर कोई मशरूफ है इस दुनिया में
आखिर अब क्या किया जाये ....
वो जिंदगी भी क्या जिंदगी
जिसमें सांसें गिन गिन कर जिया जाये
हर कोई उलझा है अपनी उलझानो में
दो पल भी अपने किसी को कहाँ से दिया जाए
ना मिलो हमसे हमें कोई गिला भी नहीं
पर जब मिलो, सलाम-दुआ तो हमेशा लिया जाये
प्यार, दोस्ती, मोहब्बत इन सब में बहुत नशा है
ये एक ऐसा जाम है जो ज़रूर जिंदगी में पिया जाये
"मसरूफ" दौर-ए-जिंदगी में फ़ुरसत किसे है
पर जो दर्द जख़म दे रहे हैं, उन्हें तो सीया जाये
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