Romantic Poetry in Hindi
शाम से आंख में नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है,
दफ़न करदो हमें की साँस मिले
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
वक़्त रहता नहीं कहीं छुप कर
इसकी आदत भी आदमी सी है,
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
इक तस्लीम लाजमी सी है ... !!!
"Anab Luchknavi"
"Anab Luchknavi"
Romantic Poetry in Hindi
यह सच है की हाथों में तेरा हाथ नहीं है
इस दिल में मगर दर्द की बुहतात नहीं है
मैं अपने मुकाबिल खड़ी सोंच रही हूँ
क्यों तेरे ताकुब में मेरी ज़ात नहीं है
क्या खौफ के आलम में लिपटे हुए अल्फाज़
इक ऐसी घुटन है कि जबां साथ नहीं है
सोंचा है कि तन्हाई के उस दस्त में राह लूँ
तुम साथ न भी दो तो कोई बात नहीं है
चुभता है मुझे दोब्ते सूरज का तसव्वर
इस शाम की किस्मत में कोई रात नहीं है
मैं चाहूँ तो हो जाए मुझे जीत मयस्सर
लेकिन तेरी किस्मत में अभी मात नहीं है
चलते हुए मंजर का फ़साना है ये
जाते हुए मौसम की तु सौगात नहीं है'
"Nahida Parveen"
Romantic Poetry in Hindi
खुदको हलाक कर लिया तुमको खफा नहीं किया
ये कब हुआ की आपका हमने कहा नहीं किया
क्यों मुँह फुलाए बैठे हो मिलना मिलाना छोड़ के
अब के तो हमने आप से कोई गिला नहीं किया
कोई तुक है? कोई मतलब? है इस नाराजगी का भला
हमने तो इश्क के सिवा कोई गुनाह नहीं किया
इतना भुला दिया की अब याद भी नहीं हैं हम
हमने कब आप पे दिल फ़िदा नहीं किया
तुमसे कहा था अब कोई मेसेज न मुझको भेजना
तुमने तो ये एक भी वादा वफ़ा नहीं किया
माना की हो गई होंगी मुझ से बहुत सी गलतियाँ
तुमने तो दिल ही तोड़ दिया खौफ ए खुदा नहीं किया
माना की तेरे बरअक्स हम बहुत बे मोल हैं
लेकिन क्या अब तक कोई भी काम ए वफ़ा नहीं किया
माना की तुमने बहुत कुछ मेरे लिए किया "मगर"
तुम पे जो मेरा क़र्ज़ था अब तक अदा नहीं किया
उसको खबर नहीं थी कि अब तक तुम क़फ़स में हो
यानी की उसकी याद से खुदको रेहा नहीं किया
"Alok Mishra"
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ये कब हुआ की आपका हमने कहा नहीं किया
क्यों मुँह फुलाए बैठे हो मिलना मिलाना छोड़ के
अब के तो हमने आप से कोई गिला नहीं किया
कोई तुक है? कोई मतलब? है इस नाराजगी का भला
हमने तो इश्क के सिवा कोई गुनाह नहीं किया
इतना भुला दिया की अब याद भी नहीं हैं हम
हमने कब आप पे दिल फ़िदा नहीं किया
तुमसे कहा था अब कोई मेसेज न मुझको भेजना
तुमने तो ये एक भी वादा वफ़ा नहीं किया
माना की हो गई होंगी मुझ से बहुत सी गलतियाँ
तुमने तो दिल ही तोड़ दिया खौफ ए खुदा नहीं किया
माना की तेरे बरअक्स हम बहुत बे मोल हैं
लेकिन क्या अब तक कोई भी काम ए वफ़ा नहीं किया
माना की तुमने बहुत कुछ मेरे लिए किया "मगर"
तुम पे जो मेरा क़र्ज़ था अब तक अदा नहीं किया
उसको खबर नहीं थी कि अब तक तुम क़फ़स में हो
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"Alok Mishra"
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