Han Aisa zalim kam kiya hamne
अब खुद से ही रोबरूहोना छोड़ दिया हमने
दिल को ही सीने से निकाल फेंक दिया हमने
सोंचा था तकदीर से लड़ कर लाएंगे हम उसे
पर हर बार अपनों से ही धोका खाया हमने
सपनों में खोई रहती थी जो आँखें कभी
उन पलकों को भी झुकाना छोड़ दिया हमने
Han Aisa zalim kam kiya hamne
तनहा इतने हो गए हैं जिंदगी के सफ़र में कि
खुद की खबर लेना भी छोड़ दिया हमने
अमानत थी जो जिंदगी कभी किसी की
मौत के इन्तेज़ार में जिंदगी जीना छोड़ दिया हमने
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