Saturday, March 10, 2018

जा रही है बहार आजाओ| Romantic Poetry


दिल से उठता है गुबार आ जाओ
जा रही है बहार आ जाओ

भूल बैठा हूँ सारे गम अपने
लेके तुम अपना झूठा प्यार आ जाओ

दिल के उजड़े हुए चमन में मेरे 
फिर से बनके बहार आ जाओ

कौन कहता है हम न चाहेंगे
दिल पे अब भी है अख्तियार आ जाओ

मानता हूँ कि रस्ते हैं कठिन
तुद कर सब हिसार आ जाओ

फिर मोहब्बत की याद आई 
मेरे पहले प्यार आ जाओ

नजा का वक़्त अब हुआ तारी
आखिरी बार मिलने यार जाओ 


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